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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
The Mahavidya Shodashi Mantra aids in meditation, boosting internal tranquil and focus. Chanting this mantra fosters a deep sense of tranquility, enabling devotees to enter a meditative point out and join with their interior selves. This gain improves spiritual awareness and mindfulness.
अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥
When Lord Shiva listened to with regards to the demise of his wife, he couldn’t Handle his anger, and he beheaded Sati’s father. Still, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s lifestyle and bestowed him by using a goat’s head.
She may be the 1 getting Intense beauty and possessing energy of delighting the senses. Enjoyable intellectual and psychological admiration inside the 3 worlds of Akash, Patal and Dharti.
क्या आप ये प्रातः स्मरण मंत्र जानते हैं ? प्रातः वंदना करने की पूरी विधि
Worshipping Goddess Shodashi is not merely about looking for materials Added benefits and also with regard to the internal transformation and realization on the self.
दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां
लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
Stage 2: Get an image of Mahavidya Shodashi and location some flowers in front of her. Provide incense sticks to her by lighting precisely the same before her photo.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता click here है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।